क्या होता है,कार्बन (carbon in hindi)|carbon and its compaunds

 कार्बन क्या है?(Carbon in Hindi)|कार्बन तत्व और इसके गुण

नमस्कार दोस्तों हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है,यहा पर आप विज्ञान के बारे में विभिन्न प्रकार की जानकारी प्राप्त करते है|आज हम विज्ञान के अति महत्वपूर्ण तत्व कार्बन क्या है,कार्बन तत्व और इसके गुण के बारे में बात करने जा रहे है| मानव जीवन के लिए कार्बन बहुत महत्वपूर्ण है। यह हमारी प्राकृतिक वातावरण का एक महत्वपूर्ण घटक है।

carbon in hindi


कार्बन हमारी पृथ्वी की भुपर्टी पर 0.02% और वायु मंडल में 0.03% मात्रा में पाया जाता है|यह निर्जीव से लेकर सजीवो में भी पाया जाता है|कार्बन हमारे भोजन में भी उपलब्ध होता है,और इससे हमें उर्जा व कई पोषक पदार्थ जो हमारे शारीर के लिए उपयोगी होते है,प्राप्त होते है|

इस लेख में आप जानेंगे की-

Carbon In Hindi

कार्बन पृथ्वी पर पाया जाने वाला एक तत्व है जो सजीवो और निर्जीवो दोनों के लिए उपयोगी होता है|यह हमारे देनिक जीवन में प्रतिदिन उपयोग में लिया जाता है|कार्बन कई प्रकार की वस्तुओ में उपयोग होता है,और इसके गुणधर्मो में विभिन्नता के कारण यह लगभग प्रत्येक क्षेत्र में उपयोगी होता जा रहा है|

कार्बन के गुणधर्मो के बारे में

1.     कार्बन का संकेत -                                                     C

2.     कार्बन की संयोजकता -                                              4

3.     कार्बन की परमाणु संख्या-                                           6

4.     कार्बन का इलेक्ट्रोनिक विन्यास-                                   1S2 2S2 2P2

5.     कार्बन की प्रकृति-                                                      अधातु

कार्बन के अपररूप (Aallotropes of Cargon)

वैसे तो कार्बन पूरी पृथ्वी पर कई रूपों में काम आता है,लेकिन यहाँ पर कुछ महत्वपूर्ण अपरुपो के बारे में बात करेंगे जो की हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत ही बड़ी भूमिका रखता है|

कार्बन के अपररूप दो प्रकार के होते है –   1.क्रिस्टलीय अपररूप

                                                                2. अक्रिस्टलीय अपररूप

 

1.क्रिस्टलीय अपररूप:-

कार्बन के ये अपररूप क्रिस्टल के रूप में अर्थात एक निश्चित ज्यामिति में व्यवस्थित होते है|और ये खनिज की तरह पृथ्वी के अन्दर से निकाले जाते है| ये अपररूप कठोर होते है|

1.  हिरा (Diamond)

हिरा अबतक का ज्ञात सबसे कठोर पदार्थ है,इसकी संरचना चतुष्फलकीय होती है,जिससे यह बहुत ही मजबूत हो जाता है|हीरा, भूमि की सबसे कठिन और अनमोल पदार्थों में से एक है। यह कार्बन का एक रूप होता है और अत्यंत उच्च दबाव और ऊष्मा के दबाव के तहत उत्पन्न होता है। हीरे का रंग सफेद से लेकर काले तक विभिन्न रंगों में पाया जाता है।

हिरा (Diamond)


 हीरे का उपयोग गहने बनाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा यह उद्योगों में भी इस्तेमाल होता है, जैसे कि उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में अधिक होता है। इसका उत्पादन खानों से किया जाता है।

 हीरे में केवल कार्बन के परमाणु होते है|चारो कार्बन परमाणु एकल सह संयोजक बंध द्वारा जुड़े हुए होते है|प्रत्येक कार्बन परमाणु में SP3 संकरण होता है|और प्रत्येक कार्बन परमाणु समचतुष्फ़लक (Icosahedral) के केंद्र पर स्थित होता है तथा अन्य चार कार्बन परमाणु समचतुष्फ़लक के कोनों पर स्थित होते हैं ।इन कार्बन परमाणु के मध्य की दुरी 1.54 A(ऐंग्स्ट्रॉम) होती है|

इसका गलनांक उच्च (3843K)होता है| इसकी संरचना त्रिविमीय जाल के रूप में होती है|इसी कारण यह कठोर होता है|इसलिए इसका उपयोग कांच, पत्थर आदि वस्तुओ को काटने के लिए किया जाता है|यह विद्युत का कुचालक होता है,क्योकि इसके प्रत्येक कार्बन परमाणु बांध में भाग लेते है,और इसमे मुक्त इलेक्ट्रान नहीं पाया जाता है|

 हीरे के उपयोग (Use of Diamond)

1.आभूषण में

2.कांच काटने में

3.चट्टानों एवं संगमरमर को काटने में

  

  2.ग्रेफाइट (Graphite)

            ग्रेफाइट भी कार्बन का ही एक अपररूप है|इसमे SP2 संकरण होता है|इसमे एक कार्बन परमाणु अन्य तीन                 कार्बन परमाणु से बांध बनाता है,जिससे एक इलेक्ट्रान मुक्त अवस्था में रहता है|इसलिए यह विद्युत का                     सुचालक है|इसकी संरचना भी त्रिविम जाल की तरह परत के रूप में होती है|यह परते दुर्बल वांडरवाल बल के           द्वारा जुडी रहती है|यह बल दुर्बल होने के कारण इसका उपयोग शुष्क स्नेहक के रूप में किया जाता है|

        

Graphite

 ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु में C-C बंध के मध्य की दुरी 1.42 A (ऐंग्स्ट्रॉम) होती है| इसकी संरचना                 षटकोणीय परतनुमा होती है|यह नर्म व चिकना होता है|

ग्रेफाइट के उपयोग (Use of Graphite)

         1.शुष्क स्नेहक के रूप में

         2.कुर्सिबल और एलेक्ट्रोड़ के निर्माण में

         3.इसका उपयोग पेन्सिल में भी किया जाता है

     3.फुलरीन(Fullerene)

फुलरीन की खोज सन 1985 में की गयी थी| इसका नाम अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार बकमिन्स्टर फुलर के नाम पर फुलरीन रखा गया|यह कार्बन का क्रिस्टलीय अपररूप है|इसमे कार्बन परमाणु की संख्या C-60 या इससे अधिक भी हो सकती है|इसकी संरचना एक गुम्बद के समान होती है|

Fullerene


यह फुटबॉल के समान होता है,इसलिए इसे बकि बल भी कहते है|इसमे कुल 32 फलक होते है जिस में से 20 फलक षटकोणीय और 12 फलक पञ्चकोणीय होते है|इसमे भी SP2 संकरण होता है| यह अधिक स्थायी होता है तथा सामान्यतः विद्युत का कुचालक होता है|

फुलरीन के उपयोग (Uses of Fullerene)

इसका उपयोग अधिकांश अतिचालक बनाने में किया जाता है|

2.अक्रिस्टलीय अपररूप:-

     कार्बन के अक्रिस्टलीय अपररूप काजल,कोल, चारकोल ,कोयला आदि है, जो छूने पर हलके चिकने महसूस होते है|

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कार्बन की संयोजकता

इसकी संयोजकता 4 होती है | कार्बन के संयोजी कोष में सिर्फ दो इलेक्ट्रान होते है तथा चार इलेक्ट्रान की जगह खाली रहती है|कार्बन अपने कोष को पूरा करने के लिए चार इलेक्ट्रान को ग्रहण करता है| जिसके कारण इसकी संयोजकता 4 प्रदर्शित करता है और अपने संयोजी कोष को पूर्ण करता है,अर्थात अभिक्रिया में यह 4 इलेक्ट्रान ग्रहण करता है|

इसकी संयोजकता को पूरा करने के लिए यह श्र्न्खलन का गुण भी प्रदर्शित करता है|

कार्बन की संयोजकता


कार्बन और उसके योगिक (carbon and its compounds)

कार्बन के विभिन्न गुणधर्म इसे कई प्रकार से उपयोगी बनाते है|और इसकी बंध बनाने की प्रकृति के कारण यह कई प्रकार के योगिक बनाता है|यह बड़ी संख्या में सह संयोजक बंध बनाता है|कार्बन के योगिको की बंध बनाने की प्रकृति के कारण ही इसका उपयोग बहुलक निर्माण जैसे- पोलीथिन, रेयोन आदि बनाने में किया जाता है|

कार्बन के योगिक के नाम इसकी संख्या के आधार पर रखा जाता है,जैसे-मीथेन,एथेन,प्रोपेन आदि|इन योगिक में 1 से लेकर 10 तक की संख्या के आधार पर नाम रखा जाता है|

यह इस प्रकार है की

कार्बन परमाणु की संख्या

दिया जाने वाला नाम

1

मैथ

2

एथ

3

प्रोप

4

ब्युट

5

पेण्ट

6

हेक्स

7

हेप्ट

8

ओक्ट

9

नेन

10

डेक

यह केवल कार्बन परमाणु की संख्या को प्रदर्शित करता है| हाइड्रोजन या अन्य परमाणु की संख्या हम आगे की सारणी में पढेंगे|

कार्बन योगिक में C-C बंध अन्य परमाणु की संख्या के आधार पर भी अपनी अलग पहचान रखते है| यदि योगिक में कार्बन के अलावा अन्य परमाणु की संख्या कम हो तो एसे में C-C द्विबंध या त्रिबंध बनता है| जब प्रत्येक बंध एकल हो तो यह एल्केन होते है,द्विबंध हो तो एल्किन और यदि त्रिबंध हो तो एल्काइन कहलाते है|

इस श्रेणी को भी निचे टेबल के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है:-

एल्केन

कार्बन – कार्बन के मध्य एकल बंध होता है|

नाम करण का सूत्र-   CnH2n+2

अनुलग्न – एन (नाम के पीछे)

एल्किन

कार्बन-कार्बन के मध्य द्विब्न्ध होता है|

नाम करण सूत्र- CnH2n

अनुलग्न – इन

एल्काइन

कार्बन –कार्बन के मध्य त्रिबंध होता है|

नाम करण सूत्र- CnH2n-2

अनुलग्न – आइन

  

इस प्रकार से इन कार्बन योगिको नाम करण किया जाता है, और इनकी प्रकृति ज्ञात की जाती है|इनके अलावा कार्बन के अनेक योगिक और भी होते है|

 सारांश

कार्बन एक बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है जो हमारे सम्पूर्ण जीवन चक्र के लिए आवश्यक है|कार्बन अपने विभिन्न प्रकार के गुणधर्मो के कारण प्रत्येक क्षेत्र में मतवपूर्ण भूमिका रखता है|इसकी संयोजकता 4 होने के कारण यह श्रंखलन का गुण प्रदर्शित करता है, और अलग –अलग प्रकार की संख्या के आधार पर अपने गुणधर्म भी अलग –अलग प्रदर्शित करता है|इसकी एल्केन, एल्किन व एल्काइन श्रेणिया इसमे उपस्थित  बन्धो के बारे में बताती है|

इसके अपररूप हिरा, ग्रेफाइट, फुलरीन है, जिनकी अपनी – अपनी अलग- अलग विशेषताए है,और अलग –अलग विद्युत चलाक्ताये है|

 FAQ

Ques.1 कार्बन का सबसे महत्वपूर्ण अपररूप कोनसा है?

Ans. कार्बन का सबसे महत्वपूर्ण अपररूप हिरा है,जो बहुत कीमती होता है|

Ques.2 कार्बन के 3 प्रकार कौन से हैं?

Ans. कार्बन के तीन प्रकार हिरा, ग्रेफाइट तथा फुलरीन है|

Ques.3 पेन्सिल में कार्बन के किस अपररूप का प्रयोग किया जाता है?

Ans. पेन्सिल में कार्बन के अपररूप ग्रेफाइट का उपयोग किया जाता है|

Ques. 4 कार्बन की संयोजकता कितनी है?

Ans. कार्बन की संयोजकता 4 है|

Ques. 5 कार्बन के कितने यौगिक होते हैं?

Ans. कार्बन के लगभग 10 लाख से भी अधिक योगिक है|

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